Crime Story- बांग्लादेश से आए 8 डकैत…छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में डाली डकैती…घटना स्थल व उससे कुछ दूर पर मिला विल्स सिगरेट का टुकड़ा…रेलवे स्टेशन में लाइन लगाकर लिया 8 टिकट…पुलिस गाली देने के तरीके से जान गई कि डकैते कहां के हैं…पांच डकैत बांग्लादेश भागने में कामयाब…सरगना सहित तीन को पुलिस ने चलती ट्रेन में वाट्सअप के जरिए पकड़ा…पढ़िए रायपुर क्राइम ब्रांच ने कैसे पखवाड़े भर में सुलझा लिया एक बड़ा अपराध

 Crime Story- बांग्लादेश से आए 8 डकैत…छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में डाली डकैती…घटना स्थल व उससे कुछ दूर पर मिला विल्स सिगरेट का टुकड़ा…रेलवे स्टेशन में लाइन लगाकर लिया 8 टिकट…पुलिस गाली देने के तरीके से जान गई कि डकैते कहां के हैं…पांच डकैत बांग्लादेश भागने में कामयाब…सरगना सहित तीन को पुलिस ने चलती ट्रेन में वाट्सअप के जरिए पकड़ा…पढ़िए रायपुर क्राइम ब्रांच ने कैसे पखवाड़े भर में सुलझा लिया एक बड़ा अपराध

 

रायपुर (भिलाई न्यूज) एक सनसनीखेज डकैती…जिसने राजधानी रायपुर को दहला दिया था, उतना ही दिलचस्प वाक्य है उन डकैतों का फिल्मी स्टाइल में पकड़ा जाना का। तब नए नए वाट्सअप ने गजब कमाल किया। डकैतों के पकड़े जाने के बाद इस बात की भी पोल खुली की दूसरे देश के लोग कैसे आसानी से भारत में घुसकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद आसानी से बच निकलते हैं। फिर बड़ी आसानी से उनका भारत में वोटर आइडी कार्ड भी बन जाता है, राशन कार्ड भी बन जाता है। आखिर कौन करता है इनकी मदद..? यह बड़ा सवाल इस डकैती कांड से जुड़ा हुआ है।

बात आज से दस साल पुरानी है। 16 और 17 अप्रैल 2014 की दरमियानी रात…फाफाडीह रायपुर निवासी स्टेशनरी कारोबारी भावनदास रामचंदानी का घर। घर पर सभी लोग चैन से सो रहे थे। बेफिक्र। बेखौफ। आफत से अंजान। तभी घर पर आठ लोग घुस आए। मुंह पर कपड़ा बांधे हुए। रामचंदानी परिवार कांप गया। महिलाएं बच्चे रोने चीखने लगे। मुंह बांधे उसे खौफनाक लोगों ने सभी को चुप रहने का इशारा किया। रामचंदानी परिवार के सभी सदस्यों के हाथ पैर बांध दिए । सभी को अलग अलग कमरों में बंद कर दिया गया। सभी के ऊपर चादर डाल दिया। रामचंदानी परिवार का हर सदस्य दहशत में था। रुह कंपा देने वाली दहशत। उन्हें समझते देर नहीं लगी कि यह डकैत लोगों है। उनके घर डकैती पड़ चुकी है।

डकैत इत्मीनान से घर की तलाशी लेने लगे। डकैतों के हाथ 18 लाख के सोने चांदी के जेवरात व डेढ़ लाख रुपये नकद लगे। रामचंदानी परिवार के एक सदस्य से रहा नहीं गया। उसने विरोध किया। एक डकैत ने उसके सिर पर कट्टा दे मारा। उसके बाद डकैतों ने घर के सभी सदस्यों को एक एक कर घर के बाथरुम में बंद कर दिया। फिर इत्मीनान से भाग निकले।

सुबह कांप उठी राजधानी

किसी तरह परिवार के लोग बाथरुम से बाहर निकले। आस पड़ोस के लोगों को आवाज दी। सुबह राजधानी कांप उठी। हाहाकर मच गया। शहर के बीचों बीच डकैती, और किसी को भनक तक नहीं। पुलिस पर ताने बरसने लगे। घटना ने प्रदेश सरकार को हिला कर रख दिया। पूरे शासन प्रशासन तंत्र में हड़कंप मचा गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह व गृहमंत्री राम सेवक पैकरा ने इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया। मौके पर डीजीपी, आईडी, एसपी, क्राइम ब्रांच के तमाम आला अफसर पहुंच गए। एफएसएल टीम, डाग स्कावड, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट ने मौका मुआयना शुरू कर दिया। परिवार के सारे सदस्यों का बयान दर्ज किया गया।

पुलिस ने देखा कि भावनदास रामचंदानी का घर रेलवे लाइन के पास था। डकैत पहले माले के दरवाजे को पेचकस जैसी किसी चीज से खोलकर घर के भीतर दाखिल हुए थे। जांच के दौरान पुलिस को घर पर विल्स सिगरेट का टूकड़ा मिला। मामला साफ था किसी डकैत ने घटना स्थल पर सिगरेट पीया था। पुलिस ने रामचंदानी परिवार से डकैतों के बोलचाल का तरीका पूछा। रामचंदानी परिवार ने सब खुलकर बताया। उनके गाली देने के स्टाइल पर पुलिस ने गौर किया। वह गाली दो एक विशेष क्षेत्र में दी जाती है? पुलिस की जांच आगे बढ़ती गई। पुलिस डॉग घटना स्थल से भागते हुए रेलवे ट्रेक की तरफ गया, यहां पुलिस के हाथ एक बड़ा सुराग लग गया।

मिला सुराग, जुड़ती गई कड़ियां

पुलिस को रेलवे ट्रेक के पास नाले में दो शर्ट व एक पैंट मिला। शर्ट में टीक्यूएस लिखा हुआ था। पेंट की जेब में एक माचिस व विल्स सिगरेट का पैकेट मिला। माचिस में सेफ्टी लिखा हुआ था। जांच के दौरान यह सबूत अहम साबित हुआ। पुलिस ने कयास लगाया रामचंदानी परिवार का घर रेलवे ट्रेक के करीब है, घटना को अंजाम देने के बाद डकैत रेलवे ट्रेक से ही भागे होंगे? उन्होंने घटना स्थल पर आने व भागने के लिए ट्रेन का इस्तेमाल किया होगा? पुलिस की एक टीम फौरन रेलवे स्टेशन पहुंची। टिकट काउंटर पर जानकारी ली। जानकारी मिली की सुबह पांच बजे रेलवे के काउंटर नंबर तीन से निजामुद्दीन दिल्ली के लिए आठ टिकट लिए गए हैं। वो भी बकायदा लाइन में लगकर, ताकि किसी को कोई संदेह ना हो। मामला लगभग साफ होने लगा। रामचंदानी के घर आठ लोगों का घुसना, काउंटर पर लाइन लगकर आठ लोगों का दिल्ली के लिए टिकट लेना…रामचंदानी के घर पर जो गाली दी जारही थी वो गाली भी दिल्ली में ही दी जाती है। पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि घटना में दिल्ली के किसी गिरोह का हाथ है।

यह सारी जानकारी पुलिस के लिए अहम थी। इसी आधार पर पुलिस की एक टीम को दिल्ली भेजा गया। दिल्ली क्राइम ब्रांच की मदद ली गई। वारदात का तरीका व मौके पर मिले साक्ष्य के आधार पर निष्कर्ष निकाल गया कि डकैती में बांग्लादेशी डकैतो का हाथ है। पुलिस के पास इस संदेह का मजबूत आधार था। दिल्ली क्राइम ब्रांच व मुखबीरों की मदद से पुलिस दो हिस्सों में बंटकर दिल्ली के उत्तम नगर व सीमापुरी इलाके में पुख्ता जानकारी जुटाने में लग गई।

सरगना का मिला सुराग

दिल्ली में डेरा जमाए पुलिस को मुखबीरों से जानकारी मिली कि डकैतों के सरगना दिलावर के घर पर कुछ नए लड़के आकर रुके थे। जो अभी दिखाई नहीं दे रहे हैं। दिलावर के बारे में यह जानकारी मिली की वह उत्तम नगर का घर खाली कर सीमापुरी इलाके में चला गया है। पुलिस दिलावर की तलाश में जुट गई। दिल्ली पुलिस के पास दिलावर की फोटो थी। इस बीच रायपुर पुलिस को यह सूचना मिली कि दिलावर अपने भाई इब्राहिम व दो अन्य साथियों के साथ हावड़ा निकलने वाला है। सादी वर्दी में रायपुर क्राइम ब्रांच की टीम निजामुद्दीन स्टेशन पहुंची। तभी दिल्ली पुलिस ने दिलावर की फोटो व मोबाइल नंबर रायपुर पुलिस को वाट्सअप पर भेज दिया। पुलिस उसे ट्रेन पर दिलावर को तलाशते हावड़ा तक पहुंच गई, और हावड़ा स्टेशन पर ही दिलावर को दबोच लिया गया। बताया जाता है कि दिलावर भी अपने साथियों के साथ बांग्लादेश भागने की फिराक में थे। अब दिलावर पुलिस की हिरासत में था। पुलिस पूछती गई, और दिलावर बोलता चला गया। पखवाड़े भर के भीतर यानी 7 मई 2014 को पुलिस ने इस डकैती कांड का खुलासा कर दिया।

बांग्लादेश से बुलाए गए थे चार डकैत

दिलावर ने अपने इकबालिया बयान में बताया कि उसने डकैती की योजना बिलाल व शहादत के साथ बनाई थी। इसके लिए मेरठ से एक देशी कट्टा व दिल्ली से तीन मोबाइल सिम खरीदा गया। बिलाल ने बांग्लादेश से शहादत, शेख कबीर, मास्टर जी, रफीक को बुलाया था। बिलाल ने ही चारों को बार्डर पार कराया था। सभी ने मिलकर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में डकैती की फूलप्रुफ योजना बनाई थी। रायपुर में डकैती डालने का सुझाव बिलाल व शहादत ने दिया था।

गोंडवाना एक्सप्रेस से पहुंचे थे रायपुर

आठो डकैत 14 अप्रैल को निजामुद्दीन स्टेशन से गोंडवाना एक्सप्रेस में सवार होकर रायपुर पहुंचे थे। डकैती डालने के लिए रेलवे ट्रेक के किनारे स्थित घरों की रेकी की। रेकी के दौरान भावनदास रामचंदानी के घर को चुना गया। तीन दिन तक डकैतों ने स्टेशन को ही अपना ठिकाना बना रखा था। इन पर ना तो जीआरपी को संदेह हुआ ना आरपीएफ को। डकैतों ने तीन दिन बाद यानी 16 व 17 अप्रैल की दरमियानी रात में घटना को अंजाम दिया। रात दो बजे जब चारों तरफ गहरा सन्नाटा पसर गया तब सभी रामचंदानी के घर के पहले माले पर पहुंचे। वहां पेचकस से दरवाजा खोलकर घर के भीतर दाखिल हुए। आराम से डकैती को अंजाम दिया। घर के एक व्यक्ति के सिर पर कट्टा मारने वाला शहादत था। वहीं बिलाल को विल्स सिगरेट पीने की आदत थी। डकैती डालते वक्त उसने घर पर सिगरेट का कश लगाया था।

बांग्लादेश भाग निकले पांच डकैत

डकैती की वारदात को अंजाम देने के बाद सभी डकैत रेलवे ट्रेक होते हुए रायपुर स्टेशन पहुंचे। वह फौरन दिल्ली भागना चाहते थे, पर दिल्ली के लिए उन्हें डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिली। लिहाजा सभी ने नागपुर जाने वाली ट्रेन के लिए लाइन में लगकर आठ टिकट लिया। ट्रेन से नागपुर पहुंचे। वहां से दिल्ली चले गए। दिल्ली में डकैती के माल का बराबर बंटवारा करने के बाद शहादत, कबीर, बिलाल, मास्टर जी व रफीक अपने हिस्से का माल लेकर बांग्लादेश भाग निकले। वहीं सरगना दिलावर, उसका भाई इब्राहिम, अलमिन व अब्दुल हकीम दिल्ली से हावड़ा होते हुए बांग्लादेश भागने के लिए ट्रेन में सवार हो चुके थे, इससे पहले रायपुर क्राइम ब्रांच की टीम ने उन्हें हावड़ा स्टेशन पर धर दबोचा

डकैतों के नाम राशन कार्ड

पुलिस ने इस दौरान बताया था कि सभी डकैत बांग्लादेशी है। घुसपैठ कर भारत आए है। सभी ने दिल्ली की झुग्गी बस्ती वाले इलाकों में घर ले रखा है। इनके नाम बकायदा राशन कार्ड व वोटर आइडी कार्ड भी है। यह लोग घुसपैठ कर भारत आते जाते रहते हैं। लंबे समय तक नई दिल्ली में रहने की वजह से यह लोग दिल्ली की भाषा शैली व गाली गलौच सीख गए हैं। डकैती डालने के लिए यह लोग रेलवे ट्रेक के किनारे स्थित घरों को निशाना बनाते हैं।

क्राइम ब्रांच को इनाम

अंतर्राष्ट्रीय डकैतों को पकड़ने के लिए रात दिन मेहनत करने वाले क्राइम ब्रांच प्रभारी संजय सिंह व उनकी 20 सदस्यीय टीम को आइजी ने घोषित इनाम की राशि 30 हजार व 50 हजार रुपये सौंपे। सरकार ने भी टीम की जमकर तारीफ की।

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