Bhilai News- भगवान को पाने के लिए संसार से मानसिक विरक्त होना आवश्यक…संसार में कोई हमारा नहीं है…जब तक हम किसी के भी अनुकूल होगें तब तक वो हमारा बना रहेगा और जब प्रतिकूल हो जायेंगे तो वो हमारा दुश्मन बन जाएगा – सुश्री धामेश्वरी देवीजी

 Bhilai News- भगवान को पाने के लिए संसार से मानसिक विरक्त होना आवश्यक…संसार में कोई हमारा नहीं है…जब तक हम किसी के भी अनुकूल होगें तब तक वो हमारा बना रहेगा और जब प्रतिकूल हो जायेंगे तो वो हमारा दुश्मन बन जाएगा – सुश्री धामेश्वरी देवीजी

भिलाई। जगद्गुरुत्तम श्री कृपालुजी महाराज की प्रमुख प्रचारिका सुश्री धामेश्वरी देवीजी द्वारा भिलाई, बडा दशहरा मैदान रिसाली सेक्टर में चल रही दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला के सातवें दिन संसार के स्वरुप को आगे विस्तार में समझाया गया है। देवी जी ने वेदों के द्वारा यह भी प्रमाणित किया कि भगवान को पाने के लिए संसार से मानसिक विरक्त होना आवश्यक है और यह समझना जरुरी है कि संसार में कोई हमारा नहीें है। जब तक किसी से स्वार्थ रहता है वहाॅं पर प्रेम हो जाता है और जब किसी का स्वार्थ हानि दिखता है तो वहाॅं लडाई झगडा शुरु हो जाता है। इसी प्रकार जब तक हम किसी के भी अनुकूल होगें तब तक वो हमारा बना रहेगा और जब प्रतिकूल हो जायेंगे तो वो हमारा दुश्मन बन जाएगा और इस व्यवहार को हम दिन रात अपने रिश्तेदारों में, नातेदारों में, पडोसी में, दोस्तो के साथ करते हैं, देखते हैं और स्वयं भी भोगते हैं। तो इसलिए यहा किसी का किसी से पेट नही सकता संसार में। और क्योंकि किसी को परमानंद नहीं मिला है सभी अपूर्ण हैं इसलिए जब तक भगवान को पा नहीं लेते तब तक यह आचरण बना रहेगा। यह भी समझना आवश्यक है कि इस संसार में तो, क्या बडे़ बड़े स्र्वगादिक लोकों में कही भी आनंद नही है। क्योंकि अगर सुख होता तो संसार में सभी सुखी होते और कोई भी भ्रष्टाचार आदि का शिकार न होता।

दूसरी बात यह है कि संासारिक भौतिकवाद जितना कम होगा उतना ही हम ईश्वर की ओर प्रेरित होंगे। और जितना आध्यात्मवाद बढे़गा उतना ही हम सुखी रहेंगे क्योंकि सुख भीतर की वस्तु है। बहिरंग भौतिक वस्तुओं से हम अंतरंग स्तर पर सुखी नही हो सकते इसलिए आजकल का जो संसार है वो बाहर से सुखमय दिखाई पडता है वह केवल दिखावा मात्र है, झलावा मात्र है। जब ईश्वर की भक्ति हम करतेे हैं यानि ईश्वर को ही अपना मानेंगे भीतर से और संसार में व्यवहार मात्र करेंगे डयूटी मात्र करेंगे तभी हमें मानसिक सुख मिल सकता है। इसी प्रकार जब संसार हमारा नहीं है तो उसके लिए हम समय व्यर्थ कर रहे हैं हमें अधिक से अधिक समय भगवान को जानने में ही व्यतीत करना चाहिए जिससे मानसिक स्तर पर हम सुख पाये और हमारे परिवार एवं समाज में सुख सम्मृद्धि आये।

प्रवचन का समापन श्री राधा कृष्ण भगवान की भव्य आरती के साथ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। 11 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का आयोजन दिनांक दिनांक 20 दिसम्बर 2024 तक रोज शाम 6 से रात 8 बजे तक होगा।

 

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