Accident- एेसी तस्वीरें और खबरें विचलित करती हैं… बेटे के साथ बोरिया गेट राशन लेनी गई मां कुछ देर बाद नहीं रही… हाईवा ने चपेट में लिया, पश्चिम बंगाल में पदस्थ सीआइएसएफ जवान की पत्नी थी मृतका… पुलिस सहायता केंद्र को लेकर भी उठाए सवाल
भिलाई। एेसी तस्वीर ना तो कोई देखना चाहता है, ना ही एेसी खबरें पढ़ना चाहता है। यह विचलित करती है। एक मां अपने बेटे के साथ मोटर साइकिल पर सवार होकर राशन लेने बोरिया गेट गई थी। उसने राशन लिया। चावल, दाल, आटा, मिर्च मसाला सब कुछ…थोड़ी देर बाद यह सामान सड़क पर बिखरा पड़ा था। सामने उस मां की लाश पड़ी थी जो अपने परिजनों के लिए भोजन पकाने का इंतजाम लेकर जा रही थी। घायल बेटा सदमा में है। बीएसपी कर्मियों में आक्रोश है। सवाल पुलिस सहायता केंद्र पर भी उठ रहा है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के बोरिया गेट के पास सोमवार को एक सड़क हादसा हुआ। जिसमें सीआइएसएफ के हवलदार की पत्नी और उसके बेटे को एक हाईवा ने अपनी चपेट में ले लिया। हादसे में बाइक के पीछे बैठी महिला के सिर के ऊपर से हाईवा का चक्का गुजर गया। जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई। हादसे के बाद मौके पर बीएसपी कर्मी और यूनियन के नेता पहुंचे और इस स्थान को खतरनाक चौक बताया। चौक पर पुलिस सहायता केंद्र का बंद पड़े बूथ को देखकर भी लोगों ने सवाल खड़े किए। लोगों का कहना था कि यहां पर हादसों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस सहायता केंद्र खोला गया था लेकिन, कुछ ही दिनों के बाद इसे बंद कर दिया गया। यदि भीड़ के समय में यहां पर पुलिस की तैनाती रहती तो यहां पर ये हादसा नहीं होता।
पुलिस के मुताबिक तालपुरी कालोनी निवासी सीआइएसएफ के प्रधान आरक्षक श्रीराम भोसले की पत्नी प्रमिला भोसले (50) की इस हादसे में मौत हुई है। श्रीराम भोसले वर्तमान में पश्चिम बंगाल में पदस्थ हैं। उनकी पत्नी प्रमिला भोसले अपने बेटे विशाल भोसले के साथ बाइक से घर का सामान लेने के लिए बोरिया मार्केट गई थी। सामान लेकर लौटते समय बोरिया गेट चौक पर एक हाईवा ने बाइक सवार मां बेटे को अपनी चपेट में ले लिया। बाइक के पीछे बैठी प्रमिला भोसले सड़क की तरफ गिर गई और हाईवा का पिछला चक्का उसके सिर के ऊपर से गुजर गया। वहीं सड़क की दूसरे तरफ गिरने से विशाल भोसले बाल बाल बच गया।
हादसे के बाद मौके पर उमड़ी भीड़ ने इस हादसे के लिए अव्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया। लोगों का कहना था कि यहां पर रोजाना हादसे की स्थिति निर्मित होती रहती है। संयंत्र के भीतर जाने वाली गाड़ियां बहुत ही खतरनाक तरीके से गुजरती हैं। चौक को व्यवस्थित करने और हादसों को नियंत्रित करने के लिए चौक पर पुलिस सहायता केंद्र भी खोला गया था लेकिन, कुछ ही दिनों में उसे बंद कर दिया गया। बंद पड़े पुलिस सहायता केंद्र को लेकर भी लोगों ने नाराजगी जताई। लोगों का कहना था कि यदि यहां पर भीड़ के समय में पुलिस की तैनाती होती तो इस तरह के हादसे नहीं होते।