Bhilai News-सेलून से सदन तक…कैसे एक युवा ने जिद ठानी और बन गया नायक…1998 में भूपेश बघेल भी नहीं पहचान पाए थे कि आने वाले समय में ये लड़का विधानसभा में उनके साथ होगा…पढ़िए कभी हार न मानने वाले एक पार्षद, एक विधायक की अनकही कहानी

 Bhilai News-सेलून से सदन तक…कैसे एक युवा ने जिद ठानी और बन गया नायक…1998 में भूपेश बघेल भी नहीं पहचान पाए थे कि आने वाले समय में ये लड़का विधानसभा में उनके साथ होगा…पढ़िए कभी हार न मानने वाले एक पार्षद, एक विधायक की अनकही कहानी

भिलाई। 1998 का दौरा था। साडा (विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण ) भंग हो चुका था। छत्तीसगढ़ राज्य तब मध्यप्रदेश का हिस्सा था। राजनीति नई करवट लेने वाली थी। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की सुगबुगाहट भी चल रही थी और भिलाई निगम के निर्माण की कहानी भी लिखी जा रही थी।

इधर सेक्टर तीन का पुलिस थाना मैदान। यह राजनीति से लेकर हर तरह के युवाओं की हर शाम बैठकें होती थी। सिर्फ हंसी मजाक। तभी एक गोल मटोल युवा की इंट्री होती है। परिचय कराया जाता है, राजू उर्फ रिकेश सेन। कैंप में पला बढ़ा, और कैंप स्कूल में पढ़ा। परिवार सेलून व्यवसाय से जुड़ा था। सो रिकेश ने भी सेलून में काम किया, फैक्ट्री से लेकर धर्मकांटा में काम किया। बावजूद उसके व्यक्तित्व में ही कुछ खास खनक थी। हरदम लड़ने भीड़ने के लिए तैयार, हर दम कुछ नया प्रयोग करने के लिए तैयार, हमेशा सबकी मदद के लिए तैयार…उसके अभाव में भी गजब का प्रभाव था।

1998 में पर्यावरण संरक्षण समिति भिलाई नगर का अध्यक्ष रहते एक दिन वह तत्कालीन मुख्यमंत्री से संबद्ध मंत्री भूपेश बघेल से मिलने उनके निवास पहुंचा। इच्छा थी कि भूपेश बघेल से मिलकर कांग्रेस में शामिल होने की। पर उस दिन मध्यप्रदेश के तत्कालीन परिवहन मंत्री बलिराम कांवरे की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। भूपेश बघेल शोक में डूबे थे। रिकेश से वे ज्यादा बात नहीं कर पाए। कांग्रेस में शामिल होने का प्रोग्राम कैंसल।

सन 2000 छत्तीसगढ़ नया राज्य बना, और भिलाई नगर निगम बन गया। चुनाव का बिगूल फूंका गया। सेक्टर-3 के युवाओं ने तय किया कि रिकेश सेन को निर्दलीय पार्षद चुनाव लड़ाया जाए। तय हुआ और नामांकन भी जमा हो गया। तब कांग्रेस के दिग्गज राज्यमंत्री बीडी कुरैशी की तूती बोला करती थी। रिकेश उनके प्रत्याशी को हराकर भिलाई नगर निगम पहुंच गया। फिर कभी उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल दर साल वह आगे बढ़ता गया। सदन में नीता लोधी, राम इकबाल मिश्रा, प्रभुनाथ मिश्रा, राजेंद्र अरोरा, वशिष्ठ नारायण मिश्रा, संजय दानी, हेमंत निषाद, रजनीकांत कन्नौजे, जैसे ना जाने कितने दिग्गजों के बीच अपनी अलग पहचान बनाता गया।

2005 में रिकेश ने वार्ड बदला। वैशाली नगर से फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा, और फिर जीत हासिल की। लगातार दूसरी जीत। इस दौरान रिकेश की पहचान भाजपा के राष्ट्रीय नेत्री सरोज पाण्डेय के समर्थक के तौर पर होने लगी। दूसरे कार्यकाल में रिकेश सेन और मुखर होकर सामने आए। सदन में आए दिन एेसा कुछ होता जो एक इतिहास बन जाता है। चाहें अपनी मांग पूरी कराने के लिए पानी टंकी पर चढ़ना हो, या फिर धरने पर बैठना हो। एक वाक्य याद आता है जब रिकेश सेन किसी विषय पर सत्ता पक्ष से लड़े और जमकर बवाल हुआ, बवाल पूरे प्रदेश तक पहुंच गया। तब छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का एक बयान सभी प्रमुख अखबारों के फ्रंट पेज पर छपा था ..मैं रिकेश के साथ। स्व.अजीत जोगी के इसी एक वाक्य ने रिकेश सेन का राजनीतिक कद बढ़ा दिया।

2010 रिकेश सेन ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली थी। भाजपा ने उन्हें शांति नगर से टिकट दिया। तीसरी बार जीतकर फिर रिकार्ड बनाया। सदन में फिर इतिहास बना। 2015 रिकेश को टिकट नहीं मिला। लिहाजा उन्होंने राम नगर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। चौथी बार लगातार जीत दर्ज की। भाजपा को लगा कि इस बंदे में कुछ तो है, जो कभी हारता नहीं। लिहाजा भाजपा के दिग्गज पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय, पूर्व मंत्री स्व.हेमचंद यादव ने नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपने की ठान ली। रिकेश भिलाई नगर निगम के निर्दलीय पार्षद रहते नेता प्रतिपक्ष बनकर एक नजीर लिख दी।

नेता प्रतिपक्ष रहते एेसा लगता था कि जैसे उनकी राजनीति धीरे धीरे खत्म हो रही है। पर रिकेश की लोकप्रियता वैशाली नगर में धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी। जिस तरह से वे किसी भी धार्मिक आयोजन को, चाहे वह गणेश पूजा हो, दुर्गा पूजा हो, होली हो, दिवाली हो, राखी का त्यौहार हो उसे भव्य बना देते थे, वो एक बड़ी पहचान बनी। हर आयोजन को खास बना देना, घर घर उपहार पहुंचाना ये सब बेहद अलग हटकर था। कोरोना में जिस तरह से उन्होंने लोगों की मदद की, वह भी एक बड़ी पहचान बनी।

जब जब राजनीतिक खत्म की चर्चा होती तब तब रिकेश सेन को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल जाती। भाजपा ने चुनाव के पहले उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में प्रदेश स्तर का पद दे दिया। मुंगेली जिला का प्रभार भी सौंप दिया। रिकेश पूरी निष्ठा से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करने लगे। तभी विधानसभा चुनाव की दस्तक हुई। वैशाली नगर से टिकट की दौड़ में 50 से अधिक नेता शामिल थे। इसमें से हर कोई अपने आप में दिग्गज। शायद ही किसी को अंदाजा था कि सबको पछाड़कर रिकेश सेन टिकट ले आएंगे। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया, और उन्होंने 40 हजार मतों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज कर सबको चौका दिया। खासकर भाजपा के उन लोगों को हतप्रभ कर दिया जो टिकट मिलने के बाद से लगातार विरोध कर रहे थे, भीतर घात कर रहे थे।

ये 24 साल का राजनीतिक सफर किसी परिकथा से कम नहीं है। आज रिकेश वैशाली नगर के विधायक हैं। सम्मानीय विधायक। और एक एेसे विधायक जो हर दिन कुछ एेसा नया कर जाते हैं, जो कोई सोच भी नहीं पाता। इसलिए विपक्षीय व विरोधी अलग परेशान रहते हैं। रिकेश खुद कहते हैं कि जनता ने उन्हें मौका दिया है, पांच साल जनता के लिए समर्पित। पांच साल जनता के लिए एेसा कर जाऊंगा कि वैशाली नगर की जनता मुझे नेता नहीं बेटा कहेगी।

(भिलाई न्यूज परिवार की तरफ से विधायक रिकेश सेन को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई, आप निरंतर आगे बढ़ते रहे, और एक दिन राजनीतिक के शिखर को छुएं )

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